बुंदेलखंड के एक सुदूर गाँव में एक अधेड़, अनपढ़ किसान अपने आठ सदस्यों के परिवार के साथ रहता था और पूरी तरह अपनी कमाई पर निर्भर था। उसे खेती के काम के दौरान और बाद में खैनी चबाने की आदत थी, जो कच्चे तंबाकू, चूने और सुगंधित सुपारी का मिश्रण होता है। इसके दुष्प्रभावों से अनजान, उसे धीरे-धीरे मुँह खोलने में कठिनाई होने लगी और मुँह खोलने का अंतराल घटकर सिर्फ़ एक इंच रह गया। उसे टॉन्सिल वाले हिस्से में दर्द, मुँह में छाले और जलन होने लगी।
जैसे-जैसे उसकी हालत बिगड़ती गई, वह तनावग्रस्त, भावनात्मक और शारीरिक रूप से कमज़ोर होता गया और काम करने में असमर्थ होता गया। स्थानीय सरकारी अस्पताल में जाने पर पता चला कि उसे शुरुआती चरण का कैंसर है। डॉक्टर ने एंटीबायोटिक्स, मल्टीविटामिन और दर्द निवारक दवाएँ दीं। हालाँकि, जब किसान ने उसकी हालत के बारे में पूछा, तो अस्पताल के एक कर्मचारी ने उसे साफ़-साफ़ बता दिया कि उसे लाइलाज कैंसर है, और इसका कारण उसकी तंबाकू चबाने की आदत बताई।
ORAL CANCER



कैंसर की चुपचाप दस्तक: काइनी-सुपारी खाने से कैसे बिगड़ता है मुँह और जीवन.एक किसान की सच्ची कहानी—हर गाँववाले को जानना ज़रूरी है
किसान की ज़िंदगी और आदचतरपुर के पास एक गाँव में एक अधेड़ उम्र का किसान रहता था। पढ़ा-लिखा नहीं था, लेकिन मेहनती था। पूरे परिवार का पेट वही पालता था। खेत में काम करते-करते और बाद में वो रोज़ काइनी (कच्चा तम्बाकू, चुना और खुशबूदार सुपारी) चबाता था। उसे ये नहीं पता था कि ये आदत धीरे-धीरे उसके मुँह को बंद कर देगी।
काइनी में क्या ज़हर होता है?
सामग्री ज़हरीले तत्व शरीर पर असर
कच्चा तम्बाकू निकोटीन, आर्सेनिक, नाइट्रोसामीन कैंसर पैदा करने वाले
चुना (चूना) तेज़ रसायन मुँह जलाता है, ज़हर को अंदर पहुँचाता है
सुपारी एरकोलाइन, टैनिन्स मुँह की चमड़ी को सख्त करता है
गाँव की बोली में:
“काइनी-सुपारी तो मुँह की मिट्टी खराब कर देत है। धीरे-धीरे मुँह बंद हो जात है, खाना-पिना मुस्किल हो जात है।”
कैसे बिगड़ता है मुँह का हाल?
– मुँह की चमड़ी सख्त हो जाती है (ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस)
– मुँह खुलना मुश्किल हो जाता है—सिर्फ एक इंच तक
– जलन, छाले और टॉन्सिल में दर्द
– खाना चबाना और बोलना मुश्किल
– धीरे-धीरे कैंसर की शुरुआत
गाँव की बोली में:
“पहिले-पहिले मुँह जलत रहो, फेर छाला आयो, अब मुँह खोले में भी दिक्कत है।”
अस्पताल की यात्रा
किसान जब सरकारी अस्पताल पहुँचा, डॉक्टर ने पहली स्टेज का मुँह का कैंसर बताया। इलाज में मिला:
– एंटीबायोटिक दवा
– मल्टीविटामिन
– दर्द की गोली (इबुप्रोफेन, डायनापार इंजेक्शन)
लेकिन जब अस्पताल के स्टाफ ने कहा, “कैंसर है, ठीक नहीं होगा,” तो किसान डर गया। काम छोड़ दिया, परिवार परेशान, शरीर कमजोर।
👉 गाँव की बोली में:
“डॉक्टर कहत है कैंसर है, अब का होई? मुँह तो खुलत ही नहीं।”
🧬 कैंसर क्या होता है?
मुँह के अंदर की चमड़ी में गंदे सेल्स बढ़ने लगते हैं। ये धीरे-धीरे पूरे मुँह को खराब कर देते हैं। अगर समय पर पकड़ा जाए तो इलाज संभव है।
💊 आधुनिक इलाज क्या है?
| इलाज का तरीका
सर्जरी | कैंसर वाला हिस्सा काटा जाता है
रेडिएशन | किरणों से कैंसर सेल्स को मारा जाता है
कीमोथेरेपी दवाओं से पूरे शरीर में कैंसर को रोका जाता है
फिजियोथेरेपी मुँह खोलने की एक्सरसाइज
पोषण | ताकत देने वाला खाना
गाँव की बोली में:
“इलाज है, डरै मत। जल्दी पकड़ो तो ठीक हो सकत है।”
मुँह फिर से खुल सकता है?
– एक्सरसाइज से धीरे-धीरे सुधार
– कुछ मामलों में ऑपरेशन
– नरम खाना, ताकत वाला खाना ज़रूरी
पाचन तंत्र कैसे बिगड़ता है?
– खाना चबाना मुश्किल
– भूख कम लगती है
– कमजोरी और थकावट
– शरीर में रोग बढ़ने का खतरा
🙏 गाँववालों से आख़िरी बात
काइनी-सुपारी कोई मज़ाक नहीं है। ये धीरे-धीरे ज़हर है। मुँह का जलना, छाले, मुँह बंद होना—ये सब कैंसर की शुरुआत हो सकती है।
कैंसर का इलाज है, अगर समय पर पकड़ा जाए। डरिए मत, जागिए।
👉 गाँव की बोली में:
“काइनी छोड़ो, ज़िंदगी बचाओ। मुँह का कैंसर जानलेवा है। समय पर इलाज कराओ।”
📢 क्या करें?
– गाँव में बैठक करें
– पोस्टर लगाएँ
– स्कूलों में बच्चों को समझाएँ
– बुज़ुर्गों को बताएं
– WhatsApp पर वीडियो और मैसेज भेजें



सही खान-पान, नशे से दूरी, तनावमुक्त जीवन और नियमित स्वास्थ्य जांच ही कैंसर जैसी बीमारी से बचाव का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है।
Sahi kaha